वजन घटाने के लिए कार्बोहाइड्रेट छोड़ना मूर्खता है

वजन घटाने के लिए कार्बोहाइड्रेट छोड़ना मूर्खता है

डॉक्‍टर अनिल चतुर्वेदी

अपने मोटापे से परेशान होकर आप वजन घटाने के तरीके तलाश रहे हैं तो आपको कुछ चीजों की सही जानकारी जुटाने की जरूरत है। दरअसल एक आम इंसान वजन कम करने के लिए अपने घर के निकट मौजूद जिमों का रुख करता है जहां उसे व्‍यायाम के साथ खान-पान में बदलाव के सुझाव दिए जाते हैं। इस सुझाव में सबसे पहला ही सुझाव होता है कि खाने में कार्बोहाइड्रेट लेना कम या बंद करके प्रोटीन और वसा की मात्रा बढ़ाएं। यह सुझाव इतना असरदार लगता है कि लोग तत्‍काल इसपर अमल शुरू कर देते हैं। मगर हमें ये जानने की जरूरत है कि कार्बोहाइड्रेट कम करने से वजन गिरने का कोई विज्ञान सम्‍मत सबूत नहीं है।

दरअसल जब भी हम वजन घटाने के लिए कार्बोहाइड्रेट छोड़ते हैं तो शुरुआत में हमारा वजन कम होता हुआ दिखता है। इसकी वजह है केटोसिस नामक मेटाबोलिक प्रक्रिया। कार्बोहाइड्रेट का त्‍याग करने पर अस्‍वस्‍थ लोगों जिनमें मधुमेह या गुर्दा रोग की टेंडेंसी होती है, उनमें शुरू होने वाली इस प्रक्रिया में सबसे पहले शरीर का पानी घटने लगता है। जैसे ही शरीर का पानी कम होता है, शरीर में जमी चर्बी गलनी शुरू होती है। कुछ लोग कह सकते हैं कि वजन घटाने के लिए यह सही तरीका है मगर ऐसा है नहीं।

दरअसल इस प्रक्रिया के तहत चर्बी गलने के साथ शरीर का प्रोटीन भी नष्‍ट होने लगता है। यह बेहद नुकसानदेह साबित हो सकता है। प्रोटीन के नष्‍ट होने से शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है क्‍योंकि प्रोटीन कोशिकाओं और अंगों के निर्माण के लिए महत्‍वपूर्ण होता है।

वजन घटाने के प्रयास के दौरान यदि आपके पेशाब में कीटोंस नामक तत्‍व आने लगे तो समझ जाएं कि अब आपका शरीर मांसपेशियों की कोशिकाओं की खपत शुरू कर चुका है। इसलिए जरूरी है कि हम शरीर को उसकी जरूरत के अनुसार कार्बोहाइड्रेट देते रहें। आमतौर पर हर भारतीय घर में इस्‍तेमाल होने वाला आलू इसका प्राथमिक स्रोत है। इसलिए यदि कोई सलाह दे कि खाने में से आलू पूरी तरह हटा दो तो इस सलाह पर अमल से पहले अपने डॉक्‍टर की सलाह लें।

कार्बोहाइड्रेट मुक्‍त भोजन आजकल फैशन में भी है। दरअसल बाजार को अपना सामान बेचने के लिए हमेशा किसी न किसी तरह के प्रचार की जरूरत पड़ती है। उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि संबंधित प्रचार इंसानी स्‍वास्‍थ्‍य पर क्‍या असर डालता है। कार्बोहाइड्रेट मुक्‍त भोजन के नाम पर बाजार में जो आहार मिलता है उसमें कैलोरी की मात्रा ज्‍यादा होती है। ये वजन को कम करने के बदले बढ़ा ज्‍यादा देता है जबकि शरीर में कार्बोहाइड्रेट की कमी कर देता है।

कार्बोहाइड्रेट की कमी होने से शरीर हमेशा थकावट से ग्रस्‍त लगता है। आलस्‍य और कमजोरी भी बढ़ जाती है। शरीर की कोशिकाएं नष्‍ट होने पर किडनी और लिवर पर असर पड़ने लगता है। यानी वजन घटाने का यह तरीका आपको कहीं ज्‍यादा गंभीर बीमारियों के घेरे में ला देता है।  

(डॉक्‍टर अनिल चतुर्वेदी की किताब वेट लॉस के 101 टिप्‍स से साभार। ये आलेख इस किताब के दो आलेखों का संपादित रूप है)

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